![](https://vandebharatlivetvnews.com/wp-content/uploads/2025/01/Blue-Red-Modern-Breaking-News-YouTube-Intro.gif३३.gif)
*बिना साक्ष्य चार्जशीट भेजी तो नपेंगे विवेचक*
.
लखनऊ: डीजीपी मुख्यालय ने महज अभियुक्त या सह अभियुक्त की स्वीकारोक्ति के आधार पर न्यायालय में चार्जशीट भेज देने वाले विवेचकों पर शिकंजा कस दिया है। इस मामले में लापरवाही पाए जाने पर उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।आगरा कमिश्नरेट से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में किरकिरी होने के बादविवेवकों के लिए सख्त फरमान जारी किया गया है। विशेष अनुज्ञा याचिका (क्रिमिनल) सनुज बंसल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य में पारित आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने फिर स्पष्ट किया कि अभियुक्तों या सह अभियुक्तों द्वारा अपराध किए जाने की स्वीकारोक्ति संबंधी पुलिस को दिए गए बयानसाक्ष्य में स्वीकार नहीं होते हैं।
अभियुक्तों के विरुद्ध लगाए गए आरोपों को न्यायालय में प्रमाणित करने के लिए विधिक रूप से स्वीकार प्रमाणिक साक्ष्य की आवश्यकता होती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डीजीपी मुख्यालय ने सभी जिलों को विवेचकों की कार्यशाला आयोजित कर उन्हें विवेचना की बारीकियां सिखाने का निर्देश दिया है। इसमें वर्ष 2021 में जारी विवेचना हस्तपुस्तिका एवं समय- समय पर जारी परिपत्रों का जिक्र करतेहुए बताया गया है कि विवेचना के दौरान सावधानियों और बारीकियों का ध्यान रखा जाए।
पुस्तिका देकर बताया कि विवेचना का तरीकाः हस्त पुस्तिका में यह बताया गया है कि विभिन्न प्रकृति के अपराधों की विवेचना किस तरह की जाएगी। डीजीपी मुख्यालय ने कहा है कि महज स्वीकारोक्ति संबंधी कथनों के आधार पर आरोप न्यायालय में प्रमाणित नहीं किया जा सकता है,जिसका लाभ अंततः अभियुक्तों को ही मिलता है।